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देश में सत्य और अहिंसा की शुरूआत करने वाले महात्मा गांधी का जन्म 2 अक्टूबर 1869 को पश्चिमी भारत में वर्तमान गुजरात के तटीय शहर पोरबंदर नामक जगह में हुआ। 1883 में उनकी शादी कस्तूरबा से हो गई। कम उम्र में शादी हो होने के बावजूद भी मोहन दास करमचंद गांधी के मन में समाज सेवा की ललक कम नहीं हुई। बैरिस्ट्री की पढ़ाई करते हुए दक्षिण अफ्रीका में रहकर ही मोहनदास ने अन्याय, रंगभेद, शोषण जैसी कई कुप्रथाओं के खिलाफ सत्याग्रह किया। इसके बाद 1915 में भारत आते ही उन्होंने असहयोग आंदोलन, स्वदेशी आंदोलन और अहिंसा आंदोलन का नेतृत्व किया।
बिहार का नील सत्याग्रह, खेड़ा का किसान सत्याग्रह और दांडी का नमक सत्यग्राह का नेतृत्व करके गांधी जी ने भारतवासियों से विदेशी वस्तुओं को हटाने और स्वदेशी वस्तुओं को अपनाने का आवाह्न किया। वहीं 1920 में भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के पुर्गठन में भी गांधी जी का विशेष योगदान था। 1942 हिंदू मुस्लिम एकता का हवाला देते हुए भारतवासियों को ‘करो या मरो’ और अंग्रेजों के विरूद्ध भारत छोड़ो का नारा दिया। जिसके लिए 1944 में नेताजी सुभाषचंद्र बोस ने सिंगापुर से उन्हें राष्ट्रपिता की उपाधि दी। लेकिन भारत की आजादी के साथ ही भारत पाकिस्तान विभाजन और हिंदू मुस्लिम अनेकता का जिम्मेदार मानते हुए राष्ट्रवादी नाथूराम गोडसे ने दिल्ली में 30 जनवरी 1948 को रात में बिड़ला में चहलकदमी करते गांधी जी को मौत के घाट उतार दिया।
बता दें गांधी जी का हर कदम युवाओं के लिए प्ररेणा स्रोत रहा है। साथ ही युवा जोश और युवा शक्ति से भरा हुआ भी रहा है। उन्हीं प्रेरित होकर और उनसे पहले भी हमारे देश के युवाओं ने तत्परता के साथ देश की सेवा भी की और शहादत भी दी। इसी शहादत को Iyuva सलाम करता है। और देश में युवाओं के लिए राजनीति में 32% आरक्षण की मांग करता है।