
देश के सबसे ईमानदार और बेदाग छवि वाले नेताओं में से एक गोवा के मुख्यमंत्री मनोहर पर्रिकर का रविवार शाम निधन हो गया। वह देश के पहले ऐसे मुख्यमंत्री थे जिन्होंने आईआईटी से ग्रेजुएशन की थी। उन्होंने 1978 में आईआईटी बॉम्बे से मेटलर्जिकल इंजीनियरिंग में स्नातक की डिग्री हासिल की थी। इसके बाद वह 26 साल की उम्र में RSS में शामिल हो गए।
उन्हें गोवा में गृह नगर मपूसा का संघचालक नियुक्त किया गया था। वह 1990 के रामजन्म भूमि विवाद में हिस्सा लेने वाले नेताओं में एक थे। उनका राजनीतिक सफर तब शुरू हुआ जब उन्हें आरएसएस ने भाजपा में भेजा। मनोहर पर्रिकर गोवा में पहली बार 1994 में दूसरे सदन के लिए चुने गए। जिसके बाद राजनीति में धीरे-धीरे उनके कदम तेजी से उंचाईयां छूते गए। 24 अक्टूबर 2000 को उनका गोवा के मुख्यमंत्री के रूप में सफर शुरू हुआ। इसके साथ ही केंद्रीय रक्षामंत्री के रूप में दो साल लंबे कार्यकाल में उन्होंने सालों से पेंडिंग पड़े राफेल विमान सौदे को अंतिम दौर तक पहुंचाया और बाद में उन्हें उत्तर प्रदेश से राज्यसभा का सदस्य चुना गया।
बता दें लम्बे समय से बिमार चल रहे 63 वर्ष के स्वर्गीय मनोहर पर्रिकर केंसर से पीड़ित थे। गोवा में उनकी पहचान पीपुल्स सीएम के रूप में थी। मुख्यमंत्री रहते हुए भी मनोहर पर्रिकर साईकिल और स्कूटर पर सफर करते थे, जिस वजह से उनकी छवि अच्छे नेता के तौर पर थी। देश को ऐसे ही ईमानदार और बेदाग छवि वाले नेताओं की जरूरत है। साथ ही जिनकी उम्र 70 साल से ज्यादा न हो ऐसे युवाओं को राजनीति में लाना अधिक महत्वपूर्ण है। जिसके लिए Iyuva ने युवाओं को राजनीति में लाने के लिए 32% आरक्षण की मांग की है। जिसमें युवाओं का साथ होना जरूरी है।