संसद में क्यों नहीं है नेताओं की रिटायरमेंट पॉलिसी?

संसद में क्यों नहीं है नेताओं की रिटायरमेंट पॉलिसी?

देश की राजनीति में ज्यादातर नेता जो बूढ़े हैं, वे अब भी अपने पद पर कार्यरत हैं। ऐसे कई नेता हैं जो 70 साल से ज्यादा उम्र के हैं, पर वो भी सांसद हैं। 2014 में जब नरेंद्र मोदी देश के प्रधानमंत्री बने, तब उन्होंने एक नियम लागू किया था, कि कोई भी नेता जो 75 साल से ज्यादा उम्र का हो वो किसी भी राजनीतिक कार्य में भाग नहीं लेगा।

इसके बावजूद भी भारतीय संसद में ऐसे कई नेता मौजूद हैं जिनकी उम्र 70 साल से अधिक हैं। जिसका सबसे बड़ा प्रभाव ये पड़ता है कि वो ज्यादातर बिमार रहते हैं और इसी वजह से लंबी छुट्टियों पर चले जाते हैं। जिससे वह अपनी जिम्मेदारी ठीक से नहीं निभा पाते। इसके बजाय किसी युवा को अगर यह मौका दिया जाए, तो वह अपनी जिम्मेदारी बखूबी निभाएगा। साथ ही युवा नेता होने का एक यह भी फायदा है कि वह मानसिक और शारिरिक रूप से ताकतवर होते हैं। साथ ही सहनशीलता भी अधिक होती है। जिससे वह सही ढ़ंग से अपना कर्तव्य निभा सकेंगे। लेकिन उससे पहले युवाओं को राजनीति में जगह देने की जरूरत है। हर युवा को राजनीति में अपनी भागीदारी बढ़ाने के लिए प्रेरित करना चाहिए। यही कोशिश है Iyuva की। जो युवाओं को राजनीति में 32% आरक्षण दिलाना चाहता है। जिससे देश के विकास को सही राह मिल सके और युवाओं का भविष्य बन सके।

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