
हमारे देश में वैसे तो बहुत सी चीजों में राजनीति खेली जाती है। लेकिन यहां अहम मुद्दा राजनीति का ही है। लोग राजनीति में ही रहकर राजनीति खेलते हैं। कहने का मतलब है कि राजनीति में किसी ऐसे व्यकित को नही चुना जाता जो राजनीति में रूचि तो रखता है। लेकिन राजनीति में किसी से अच्छे संबन्ध नही हैं। बल्कि ऐसे व्यकित को चुना जाता है जो पहले से किसी पद पर स्थित व्यक्ति के घर से हो या नाते-रिश्तेदार में से हो। साफ शब्दों में कहे तो राजनीति में वंशवाद का ही बोलबाला है। जबकि युवाओं के देश में युवाओं का राज होना चाहिए। लेकिन यहां ऐसा नही है। देश की शासन व्यवस्था में युवा होना चाहिए ताकि वह अपनी नई सूझ-बूझ से देश का उज्जवल भविष्य और विकास हो सके। युवाओं के लिए 2010 में Iyuva की शुरूआत की गई जिसका मकसद युवाओं को राजनीति में 32% आरक्षण दिलाना है। जब हर जगह आरक्षण मिल सकता है तो राजनीति में क्यों नहीं?