
अधिक जानकारी के लिए देखें ये वीडियो-https://www.facebook.com/100008349070154/videos/2265559890398958/
काकोरी कांड में देश की आजादी के लिए तीन महानायक राम प्रसाद बिस्मिल, ठाकुर रोशन सिंह और अशफाक उल्ला खां ने जान दी थी। तीनों का जन्म शाहजहांपुर में ही हुआ। बिस्मिल से 1922 में रोशन सिंह की मुलाकात हुई, वह अच्छे निशानेबाज थे और बिस्मिल को बेहतर निशानेबाज की जरूरत थी इसलिए बिस्मिल ने दोनों को संगठन में शामिल कर लिया। जिसके बाद ही काकोरी कांड को अंजाम दिया गया। इसलिए आजादी के इन महानायकों को काकोरी कांड को अंजाम देने के लिए सूली पर चढ़ाया गया था।
9 अगस्त 1925 की रात राम प्रसाद बिस्मिल, रोशन सिंह, अशफाक उल्ला खां और इनके कुछ साथियों ने लखनऊ से कुछ दूरी पर काकोरी और आलमनगर के बीच ट्रेन में ले जाए जा रहे सरकारी खजाने को लूटा था। ऐसा इसलिए किया गया क्योंकि अंग्रेजों के खिलाफ लड़ाई लड़ने के लिए क्रांतिकारियों को हथियारों की आवश्यकता थी। ऐसे में राम प्रसाद बिस्मिल के नेतृत्व में कुछ क्रांतिकारियों ने सरकारी खजाने को लूटने की योजना बनाई, जिसे 9 अगस्त 1925 को अंजाम दिया गया। हिंदुस्तान रिपब्लिकन एसोसिएशन संगठन के संस्थापक राम प्रसाद बिस्मिल का ही काकोरी कांड में दिमाग था।
इस घटना से ब्रिटिश हुकूमत को इतना बड़ा झटका लगा कि 26 सितंबर 1925 के दिन हिंदुस्तान रिपब्लिकन एसोसिएशन के करीब 40 क्रांतिकारियों को गिरफ्तार कर लिया और उनके खिलाफ राजद्रोह, सशस्त्र युद्ध छेड़ने, सरकारी खजाना लूटने और मुसाफिरों की हत्या करने का मुकदमा चलाया। साथ ही राम प्रसाद बिस्मिल को गोरखपुर, अशफाकउल्ला खां को फैजाबाद, रोशन सिंह को इलाहाबाद जेल में फांसी की सजा सुनाई गई।