देश की प्रगति के लिए युवाओं का योगदान जरूरी
भारतीय वायुसेना के विंग कमांडर अभिनंदन बस कुछ ही देर मे वतन वापसी कर रहे हैं और उनके स्वागत के लिए वाघा बॉर्डर पर हजारों लोग नजर आ रहे हैं। अगर सरहद पर सुरक्षा के लिए तैनात जवान के स्वागत के लिए भीड उमड़ पड़ी है तो राजनीती मे स्वागत के लिए इतना हुजुम क्यों नही। आखिर क्या भारत के संविधान में सिर्फ युवा ही बलिदान देते रहेगें। क्या राजनीति में आरक्षण मिलना युवाओं का हक नहीं है। इसी हक के लिए Iyuva ने राजनीति में 32% आरक्षण की मांग की है। जिनका उद्देश्य युवाओं को राजनीति में हिस्सा दिलाना …
युवाओं को राजनीति में भी मिलना चाहिए 32% आरक्षण
देश में युवाओं के लिए नई- नई योजनाए बनाई जाती है। रोजगार योजना,. प्रशिक्षण योजना आदि ऐसी कई योजनाए हैं जो युवाओं के हक के लिए आवाज उठाती हैं लेकिन ऐसे भी युवा होते हैं जो सिर्फ अपना ही नहीं दूसरों का भी भविष्य संवारना चाहते हैं। वहीं लोग युवाओं को रोजगार देने के लिए प्रशिक्षण तो देते हैं लेकिन उनको राजनीति में लाने के लिए कोई प्रेरण नहीं देता बल्कि गंदी राजनीति बोलकर उनका मनोबल तोड़ दिया जाता है। इसी सोच को तोड़ने और युवाओं को राजनीति में लाने के लिए Iyuva संगठन की शुरूआत की गई, जो युवाओं …
चुनावों के माहौल में युवाओं का भी हो राजनीति में साथ…
देश में एक तरफ जहां दो देश भारत और पाकिस्तान के बीच तनाव चल रहा है। वहीं दूसरी तरफ चुनाव का माहौल भी बनता जा रहा है। लोकसभा चुनाव के मुहाने पर देश खड़ा है, इसी बीच चुनाव आयोग ने घोषणा की है कि आम चुनाव अपने तय समय से होंगे। मुख्य चुनाव आयुक्त से जब भारत पाकिस्तान तनाव के बीच चुनाव कार्यक्रम के बारे में पूछा गया तो उन्होंने कहा, ”चुनाव समय पर ही होंगे.” जानकारी के मुताबिक चुनाव आयोग मार्च के पहले हफ्ते में तारीखों का एलान कर सकता है। पर आम चुनाव में क्या आम लोग यानी …
देश को कुछ ऐसे निडर युवाओं की है जरूरत…
हमारे देश के वायुसेना के कमांडर अभिनंदन वर्धमान जो अभी पाकिस्तान की गिरफ्त में है। पूरा देश उनके भारत में वापसी होने को लेकर कामना कर रहा है। वहीं उनका देश के प्रति प्रेम और वीरता तब भी कायम रही जब उनका प्लेन पाकिस्तान में क्रैश हो गया जिसके बाद भारतीय पायलट पैराशूट से एक तालाब में कूदे और कुछ दस्तावेज, नक्शे निगलने की कोशिश की ताकि वह पाकिस्तानी सेना के हाथ न लगें। पायलट ने वहां खड़े लोगों से पूछा की वो भारत में हैं या पाकिस्तान में तो वहां के एक बच्चे ने जवाब दिया कि भारत में, …
चंद्रशेखर आजाद की पुण्यतिथि, पढ़े कहानी…
आजादी की आस लिए आजादी की राह पर निकले थे आजाद। अंग्रेजों से लड़ने को उठे थे इस युवा के दो हाथ। जिन्होंने दिलाई थी भारत मां को आजादी, वो थे चंद्रशेखर आजाद। वैसे भारत को आजाद करने के लिए बहुत से युवा क्रांतिकारियों ने अपना योगदान दिया। जिन्हें भारत कभी भूल नहीं सकता। उन्हीं युवा क्रांतिकारियों में से एक थे आजाद। जिन्होंने किए थे न्यौछावर देश की आजादी के लिए अपने प्राण। चंद्रशेखर 14 साल की उम्र में ही ब्रिटिश सरकार के खिलाफ चलाए जा रहे गांधी जी के असहयोग आंदोलन से जुड़ गए लेकिन उन्हें कुछ ही समय …
निःशुल्क और अनिवार्य शिक्षा के अनुयायी थे मौलाना आजाद…
कवि, लेखक, पत्रकार और भारतीय स्वतंत्रता सेनानी मौलाना अबुल कलाम आज़ाद या अबुल कलाम गुलाम मुहियुद्दीन का जन्म 11 नवंबर 1988 को हुआ। वह भारत की आजादी के बाद वह एक महत्त्वपूर्ण राजनीतिक रहे। वह महात्मा गांधी के सिद्धांतों का समर्थन करते थे। उन्होंने हिंदू-मुस्लिम एकता के लिए कार्य किया, तथा वे अलग मुस्लिम राष्ट्र (पाकिस्तान) के सिद्धांत का विरोध करने वाले मुस्लिम नेताओ में से भी थे। खिलाफत आंदोलन में उनकी महत्वपूर्ण भूमिका रही। आजादी के बाद वह भारत के उत्तर प्रदेश राज्य के रामपुर जिले से 1952 में सांसद चुने गए और वह भारत के पहले शिक्षा मंत्री …
चन्द्रशेखर आजाद ने दिखाई थी आजादी की राह
भारतीय स्वतंत्रता संग्राम के महानायक और लोकप्रिय स्वतंत्रता सेनानी चन्द्रशेखर आजाद का जन्म 23 जुलाई, 1906 को मध्यप्रदेश के झाबुआ जिले के भाबरा नामक जगह पर हुआ। उनके पिता का नाम पंडित सीताराम ईमानदार, स्वाभिमानी, साहसी और वचन के पक्के थे। यही गुण चंद्रशेखर को अपने पिता से विरासत में मिले थे। क्रांतिकारी आंदोलन उग्र होने के दौरान चन्द्रशेखर आजाद ‘हिन्दुस्तान सोशलिस्ट आर्मी’ से जुड़े। रामप्रसाद बिस्मिल के नेतृत्व में आजाद ने काकोरी षड्यंत्र में सक्रिय भाग लिया और पुलिस की आंखों में धूल झोंककर फरार हो गए। 17 दिसंबर, 1928 को चंद्रशेखर आजाद, भगत सिंह और राजगुरु ने शाम के समय …
काकोरी कांड के तीन महानायकों ने आजादी के लिए दी थी जान
अधिक जानकारी के लिए देखें ये वीडियो-https://www.facebook.com/100008349070154/videos/2265559890398958/ काकोरी कांड में देश की आजादी के लिए तीन महानायक राम प्रसाद बिस्मिल, ठाकुर रोशन सिंह और अशफाक उल्ला खां ने जान दी थी। तीनों का जन्म शाहजहांपुर में ही हुआ। बिस्मिल से 1922 में रोशन सिंह की मुलाकात हुई, वह अच्छे निशानेबाज थे और बिस्मिल को बेहतर निशानेबाज की जरूरत थी इसलिए बिस्मिल ने दोनों को संगठन में शामिल कर लिया। जिसके बाद ही काकोरी कांड को अंजाम दिया गया। इसलिए आजादी के इन महानायकों को काकोरी कांड को अंजाम देने के लिए सूली पर चढ़ाया गया था। 9 अगस्त 1925 की रात …
भारतीय इतिहास में स्वर्ण अक्षरों में दर्ज नाना साहेब का नाम
अधिक जानकारी के लिए देखें ये वीडियो-https://www.facebook.com/rudra.p.singh.351/videos/10212691145945665/ नाना साहेब 1857 के भारतीय स्वतन्त्रता के प्रथम संग्राम के शिल्पकार थे। उनका मूल नाम ‘धोंडूपंत’ था। कानपुर में नाना साहेब ने स्वतंत्रता संग्राम में अंग्रेजों के विरुद्ध विद्रोहियों का नेतृत्व किया। नाना साहब ने सन् 1824 में वेणुग्राम निवासी माधवनारायण राव के घर जन्म लिया। पिता पेशवा बाजीराव द्वितीय के सगे भाई थे। पेशवा ने बालक नानाराव को अपना दत्तक पुत्र स्वीकार किया और उनकी शिक्षा दीक्षा का प्रबंध किया। 1857 में जब मेरठ में क्रांति की शुरुआत हुई तो नाना साहब ने बड़ी वीरता और दक्षता से क्रांति की सेनाओं का …
अंग्रेजों ने भी माना था राजा नाहर सिंह की वीरता का लोहा
अधिक जानकारी के लिए देखें ये वीडियो- /https://www.facebook.com/rudra.p.singh.351/videos/10212679011522312/ देश की आजादी के लिए जान देने वालो में फरीदाबाद के बल्लभगढ़ में 1823 में जन्मे राजा नाहर सिंह का नाम भी आता है। नाहर सिंह के शौर्य और वीरता से अंग्रेजी हुकूमत का हर हुकमरान थर्राता था। ब्रिटिश सैनिकों का दिल्ली में दोबारा अधिकार के लिए दबाव बढ़ने से बहादुरशाह ज़फ़र ने राजा नाहर सिंह को दिल्ली की सुरक्षा के लिए न्योता भेजा। राजा नाहर सिंह दक्षिण दिल्ली पर लोहे की दीवार बनकर ऐसे डटे कि अंग्रेज़ी हुकूमत थर्रा उठी। वहीं आगरा से आती हुई ब्रिटिश सैनिक टुकड़ियों को राजा नाहर …