भारत के पिछड़ने की एक यह भी वजह, जानिए
भारत देश लोकतांत्रिक होने के साथ विकासशील देश है, जो विकास की ओर अग्रसर है। अगर बात करें देश के युवाओं की तो देश के विकास में युवाओं का अहम रोल होता है जो देश को विकसित राष्ट्र बनाता है, आमतौर पर लोकतांत्रिक तरीके से एक राष्ट्र में सामाजिक सामंजस्य, आर्थिक समृद्धि और राजनीतिक स्थिरता के निर्माण में सभी नागरिकों को उलझाने की एक रचनात्मक प्रक्रिया है। युवा एक राष्ट्र का केंद्र बिंदू हैं। अधिक मजबूत युवा ही अधिक विकसित राष्ट्र का निर्माण करते है। राष्ट्र-निर्माण में युवाओं की भूमिका केंद्रीय स्थान पर होती हैं। इसलिए देश में युवाओं को …
‘इन्कलाब जिंदाबाद’ नारे के साथ हंसते-हंसते दी जान
23 मार्च 1931 का वह काला दिन जब ब्रिटिश सरकार ने एक साथ तीन लोगों को फांसी दी। जिसमें एक नाम था भगत सिंह। भगत सिंह को जब फांसी हुई उस वक्त उनकी उम्र महज 23 साल की थी। उनकी चाहत थी कि ब्रिटिश हाथों में जकड़ा हुआ गुलाम भारत आजाद हो जाए। जिसके लिए उन्होंने कई कोशिशें की। भगत सिंह ने अपने एक क्रांतिकारी साथी के साथ मिलकर नई दिल्ली की सेंट्रल एसेंबली में 8 अप्रैल 1929 को बम और पर्चें फेंके। जिसके बाद भारत का हर एक नागरिक जान गया कि आखिर भगत सिंह है कौन। भगत सिंह ने …
युवाओं को स्वतंत्रता का महत्व समझाने के लिए किया था प्रेरित
पंजाब के लायलपुर शहर में जन्मे सुखदेव थापर भारतीय स्वतंत्रता संग्राम के एक प्रमुख क्रांन्तिकारी थे। जिन्हें 23 मार्च 1931 को फाँसी पर लटका दिया गया था। इनकी शहादत को आज भी सम्पूर्ण भारत में सम्मान के नजरिए से देखा जाता है। सुखदेव हिंदुस्तान सोशलिस्ट रिपब्लिकन एसोसिएशन के सदस्य थे। वह पंजाब और उत्तर भारत के अन्य शहरों में क्रांतिकारी गतिविधियाँ सम्भालते थे। उनका जीवन देश और देश हित को पूरी तरह समर्पित था। उन्होंने लाहौर के नेशनल कालेज में युवाओं को भारत का गौरवशाली इतिहास बताकर उनमें देशभक्ति जगाने का काम भी किया था। लाहौर में ही सुखदेव ने …
चन्द्रशेखर आजाद ने दिखाई थी आजादी की राह
भारतीय स्वतंत्रता संग्राम के महानायक और लोकप्रिय स्वतंत्रता सेनानी चन्द्रशेखर आजाद का जन्म 23 जुलाई, 1906 को मध्यप्रदेश के झाबुआ जिले के भाबरा नामक जगह पर हुआ। उनके पिता का नाम पंडित सीताराम ईमानदार, स्वाभिमानी, साहसी और वचन के पक्के थे। यही गुण चंद्रशेखर को अपने पिता से विरासत में मिले थे। क्रांतिकारी आंदोलन उग्र होने के दौरान चन्द्रशेखर आजाद ‘हिन्दुस्तान सोशलिस्ट आर्मी’ से जुड़े। रामप्रसाद बिस्मिल के नेतृत्व में आजाद ने काकोरी षड्यंत्र में सक्रिय भाग लिया और पुलिस की आंखों में धूल झोंककर फरार हो गए। 17 दिसंबर, 1928 को चंद्रशेखर आजाद, भगत सिंह और राजगुरु ने शाम के समय …