चुनावों पर सर्वे लेकिन युवा उम्मीदवारों की संख्या पर क्यों नहीं?

चुनावों पर सर्वे लेकिन युवा उम्मीदवारों की संख्या पर क्यों नहीं?

लोकसभा चुनावों की तैयारी सालों से चली आ रही थी और अब आखिर चुनाव की तारीखें भी तय हो गईं। साथ ही सभी पार्टियों ने अपने अपने उम्मीदवारों के नाम भी घोषित कर दिए। वहीं तमाम सर्वे की मानें तो किसी भी पार्टी को स्पष्ट रूप से बहुमत मिलता नहीं दिख रहा है। एक और सर्वे के मुताबिक राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (NDA) लोकसभा चुनाव में बहुमत से थोड़ा दूर रहेगा, लेकिन गठबंधन के जरिए बेहद आसानी से सरकार बना लेगा। सर्वे में एनडीए को 264 सीटें दी गई हैं, जबकि यूपीए को 141 सीटें मिलने की उम्मीद जताई गई है। इसके अलावा अन्य दलों को 138 सीटें मिलने का अनुमान है। वहीं, अगर यूपी में महागठबंधन नहीं होता है, तो एनडीए की झोली में 307 सीटें जाएंगी और यूपीए को महज 139 सीटों से संतोष करना पड़ेगा। इसके अलावा अन्य दलों के खाते में 97 सीटें जा सकती हैं। बात यह है कि जब चुनावों के लिए सर्वे किए जा रहे हैं लेकिन इन चुनावों में कितने युवाओं को खड़ा किया गया है, इस पर किसी ने सर्वे नहीं किया गया। बात करें 2014 लोकसभा चुनाव की तो 543 में से 253 सासंद 55 साल की उम्र के थे। यह लोकसभा 2014 की सबसे बूढ़ी लोकसभा थी। जबकि युवाओं की संख्या सबसे ज्यादा होनी चाहिए। यही अभियान है Iyuva का, जो युवाओं को राजनीति में 32% आरक्षण दिलाना चाहता है जिससे संसद में युवाओं की संख्या बढ़ सके और देश का विकास सही ढ़ंग से हो सके।

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