
विश्व में भारत सबसे बड़ा लोकतांत्रिक देश है। कहते हैं किसी देश का युवा उसका केंद्र बिंदु होता है। लेकिन दूसरी तरफ उसको देश की राजनीति में वह दर्जा नहीं दिया जाता, जितना उम्र दराज लोगों को दिया जाता है। स्वतंत्रता के बाद से अब तक देश की बागडोर बुजुर्ग नेताओं के हाथ में रही है। ज्यादातर नेता 70 वर्ष से अधिक उम्र के रहे हैं। 78 वर्ष के गांधी जी से लेकर 72 वर्ष के सरदार पटेल तक राजनीतिक पद पर आसीन थे। प्रधानमंत्री पद पर 81 वर्ष के मोरारजी देसाई, 71 वर्ष के श्री नरसिंहा राव और 75 वर्ष के अटल बिहारी वाजपेयी के साथ-साथ 80 वर्ष के पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह भी रहे। इसीलिए देश की ताकत युवा के हाथ में देश की बागडोर भी होनी चाहिए। ऐसा माना जाता है कि साठ साल के बाद आदमी सठिया जाता है, उसका दिमाग सही तरह से कार्य करने में सक्षम नहीं रहता और उसे धीरे-धीरे भूलने की आदत लगने लगती है इसीलिए साठ वर्ष के बाद नौकरी से भी उसे रिटायर कर दिया जाता है। फिर देश चलाने जैसे महान कार्य के लिए बुजुर्ग नेता सक्षम क्यों मान लिए जाते हैं?
लोकसभा चुनाव होने में महीने भर से भी कम का समय बचा है, तो क्यों न इस बार अपने वोट का सही इस्तेमाल किया जाए और जो 70 साल से अधिक उम्र के उम्मीदवार चुनावों में भाग ले रहे हैं उनका बहिष्कार किया जाए। साथ ही युवा नेताओं को वोट देकर उन्हें देश की ताकत बनाए। जिससे देश के विकास को सही राह मिल सके।