
सालों से चले आ रहे राम जन्मभूमि-बाबरी मस्जिद जमीन विवाद खत्म होने का नाम ही नहीं ले रहा है। हर बार नई तारीख और सुनवाई होती है इसके बाद भी कोई हल नहीं निकल पाता। सुप्रीम कोर्ट ने विवादास्पद 2.77 एकड़ भूमि तीन पक्षकारों-सुन्नी वक्फ बोर्ड, निर्मोही अखाड़ा और रामलला के बीच बराबर-बराबर बांटने के इलाहाबाद उच्च न्यायालय के 2010 के फैसले के खिलाफ दायर 14 अपील पर सुनवाई के दौरान मध्यस्थता के जरियो विवाद सुलझाने की संभावना तलाशने का सुझाव दिया था। वहीं निमोही अखाड़ा और मुस्लिम पक्षकार का कहना है कि वह इस मामले में मध्यस्थता के लिए तैयार है। अब देखने वाली बात होगी कि पांच सदस्यीय संविधान पीठ इस मसले पर क्या फैसला लेती है। चीफ जस्टिस रंजन गोगई, न्यायमूर्ति एसए बोबडे, न्यायमूर्ति डीवाई चंद्रचूड़, न्यायमूर्ति अशोक भूषण और न्यायमूर्ति एस अब्दुल नजीर की संविधान पीठ शुक्रवार को यह तय करेगी कि इस मसले का हल आपसी समझौते से निकाला जाना चाहिए या नहीं?
जब जब देश में कोई चुनाव आते हैं यह मुद्दा निकल कर आ जाता है। सभी टीवी चैनलों में इसी मुद्दे को लेकर वाव-विवाद कार्यक्रम चलते रहते हैं। जिसमें राजनीतिक लोग अपनी रोटियां सेखते हैं। यह है देश की राजनीति और देश के हालात। क्या असर पड़ेगा आने वाली पीढ़ी पर। हातालों को देखते हुए लगता है कि युवाओं को राजनीति में आने चाहिए। साथ ही देश के का भविष्य सुधारने के लिए कदम उठाने चाहियें। यही कोशिश है Iyuva की, जो युवाओं को राजनीति में आने के लिए प्रेरित करता रहा है और राजनीति में युवाओं की भागादारी बढ़ाने के लिए उनके लिए 32% आरक्षण की मांग करता है। जिसमें युवाओं का साथ होना जरूरी है।