सबसे कम उम्र में देश के लिए दी थी जान…
हिंदुस्तान की आजादी के लिए ना जाने हमारे देश के कितने युवा फांसी पर चढ़ गए। उन्हीं में से एक ऐसा नाम है खुदी राम बोस, जो सबसे कम उम्र में देश के लिए फांसी पर चढ़ गया। 3 दिसंबर, 1889 को बंगाल के मिदनापोर जिले में जन्में खुदीराम बोस क्रांतिकारी स्वतंत्रता सेनानी थे। बचपन में ही उनके माता-पिता का निधन हो दया था, जिसके बाद उनकी बड़ी बहन ने उन्हें पाला-पोसा था। देशप्रेम से भरे हुए खुदीराम ने बेहद कम उम्र से सभाओं में शामिल होने लगे थे। देश को आजाद कराने के लिए पढ़ाई छोड़ने के बाद खुदीराम …
‘देश के लिए दौड़ने वाला जवान बाघी होकर हारा था जिंदगी की दौड़ में’
देश के लिए भागे तो ठीक और जब अपने लिए भागे तो मिली गोली… यह महज एक बात नहीं बल्कि देश के लाल की सच्चाई है जिनका नाम शायद कोई भुला होगा। हम बात कर रहे हैं पान सिंह की तोमर की। पान सिंह तोमर का जन्म सन् 1932 को मध्यप्रदेश के जिले के भिड़ोसा में हुआ। बचपन से ही पान सिंह देश की सेवा करना चाहते थे। और अपनी इस सोच को बरकरार रखते हुए देश के प्रति सेवा भाव लिए पान सिंह फौज में भर्ती हुए। उनकी पहली भर्ती उत्तराखंड के रूड़की शहर में सूबेदार के पद पर …
काकोरी कांड के तीन महानायकों ने आजादी के लिए दी थी जान
अधिक जानकारी के लिए देखें ये वीडियो-https://www.facebook.com/100008349070154/videos/2265559890398958/ काकोरी कांड में देश की आजादी के लिए तीन महानायक राम प्रसाद बिस्मिल, ठाकुर रोशन सिंह और अशफाक उल्ला खां ने जान दी थी। तीनों का जन्म शाहजहांपुर में ही हुआ। बिस्मिल से 1922 में रोशन सिंह की मुलाकात हुई, वह अच्छे निशानेबाज थे और बिस्मिल को बेहतर निशानेबाज की जरूरत थी इसलिए बिस्मिल ने दोनों को संगठन में शामिल कर लिया। जिसके बाद ही काकोरी कांड को अंजाम दिया गया। इसलिए आजादी के इन महानायकों को काकोरी कांड को अंजाम देने के लिए सूली पर चढ़ाया गया था। 9 अगस्त 1925 की रात …
छापेमार सैनिक तात्या टोपे ने उड़ाई थी अंग्रेजों की नींद
अधिक जानकारी के लिए देखें ये वीडियो-https://www.facebook.com/100008349070154/videos/2264872430467704/ 1857 में विदेशियों के खिलाफ वीरता का परिचय देने वाले तात्या टोपे का जन्म सन् 1814 ई. में नासिक के पास पटौदा ज़िले में येवला नामक गांव में हुआ। तात्या टोपे देशस्थ कुलकर्णी परिवार में जन्मे थे। इनके पिता पेशवा बाजीराव द्वितीय के गृह-विभाग का काम देखते थे। तात्या का वास्तविक नाम ‘रामचंद्र पांडुरंग येवलकर’ था। ‘तात्या’ मात्र उपनाम था। तात्या शब्द का प्रयोग अधिक प्यार के लिए होता था। टोपे भी उनका उपनाम ही था, जो उनके साथ ही चिपका रहा। क्योंकि उनका परिवार मूलतः नासिक के निकट पटौदा ज़िले में छोटे से …
भारतीय इतिहास में स्वर्ण अक्षरों में दर्ज नाना साहेब का नाम
अधिक जानकारी के लिए देखें ये वीडियो-https://www.facebook.com/rudra.p.singh.351/videos/10212691145945665/ नाना साहेब 1857 के भारतीय स्वतन्त्रता के प्रथम संग्राम के शिल्पकार थे। उनका मूल नाम ‘धोंडूपंत’ था। कानपुर में नाना साहेब ने स्वतंत्रता संग्राम में अंग्रेजों के विरुद्ध विद्रोहियों का नेतृत्व किया। नाना साहब ने सन् 1824 में वेणुग्राम निवासी माधवनारायण राव के घर जन्म लिया। पिता पेशवा बाजीराव द्वितीय के सगे भाई थे। पेशवा ने बालक नानाराव को अपना दत्तक पुत्र स्वीकार किया और उनकी शिक्षा दीक्षा का प्रबंध किया। 1857 में जब मेरठ में क्रांति की शुरुआत हुई तो नाना साहब ने बड़ी वीरता और दक्षता से क्रांति की सेनाओं का …
अंग्रेजों ने भी माना था राजा नाहर सिंह की वीरता का लोहा
अधिक जानकारी के लिए देखें ये वीडियो- /https://www.facebook.com/rudra.p.singh.351/videos/10212679011522312/ देश की आजादी के लिए जान देने वालो में फरीदाबाद के बल्लभगढ़ में 1823 में जन्मे राजा नाहर सिंह का नाम भी आता है। नाहर सिंह के शौर्य और वीरता से अंग्रेजी हुकूमत का हर हुकमरान थर्राता था। ब्रिटिश सैनिकों का दिल्ली में दोबारा अधिकार के लिए दबाव बढ़ने से बहादुरशाह ज़फ़र ने राजा नाहर सिंह को दिल्ली की सुरक्षा के लिए न्योता भेजा। राजा नाहर सिंह दक्षिण दिल्ली पर लोहे की दीवार बनकर ऐसे डटे कि अंग्रेज़ी हुकूमत थर्रा उठी। वहीं आगरा से आती हुई ब्रिटिश सैनिक टुकड़ियों को राजा नाहर …
‘मैं अपनी झांसी नहीं दूंगी’ अदम्य साहस के साथ खूब लड़ी मर्दानी
अधिक जानकारी के लिए देखें ये वीडियो- https://www.facebook.com/rudra.p.singh.351/videos/10212673722990102/ झांसी के लिए ब्रिटिश शासन से लड़ने वाली रानी लक्ष्मीबाई का जन्म 19 नवंबर, 1828 को बनारस के एक मराठी ब्राह्मण परिवार में हुआ था। उन्हें मणिकर्णिका नाम दिया गया और घर में मनु कहकर बुलाया गया था। 4 साल की उम्र में रानी लक्ष्मी बाई की मां का देहांत हो गया। पिता मोरोपंत तांबे बिठूर ज़िले के पेशवा के यहां काम करते थे इसलिए पेशवा ने उन्हें अपनी बेटी की तरह पाला और प्यार से छबीली नाम दिया। मणिकर्णिका की शादी झांसी के महाराजा राजा गंगाधर राव नेवलकर से हुई और देवी …
‘मारो फिरंगी को’ नारे के साथ 1857 विद्रोह की शुरुआत
अधिक जानकारी के लिए देखें ये वीडियो- https://www.facebook.com/rudra.p.singh.351/videos/10212667792481843/ हिम्मत और हौसले के दम पर अंग्रेजी हुकूमत के सामने पहली चुनौती पेश करने वाले मंगल पांडे का जन्म उत्तर प्रदेश के बलिया जिले के नगवा गांव में 19 जुलाई 1827 को हुआ। लेकिन कुछ सूत्रों के मुताबिक इनका जन्म स्थल फैजाबाद जिले की अकबरपुर तहसील के सुरहुरपुर ग्राम में बताया गया है। इनके पिता का नाम दिवाकर पांडे तथा माता का नाम श्रीमती अभय रानी था। मंगल पांडे कलकत्ता (कोलकाता) के पास बैरकपुर की सैनिक छावनी में “34वीं बंगाल नेटिव इन्फैंट्री” की पैदल सेना के 1446 नंबर के सिपाही थे। भारत …
देश के युवाओं करो या मरो…महात्मा गांधी
अधिक जानकारी के लिए देखें ये वीडियो- https://www.facebook.com/rudra.p.singh.351/videos/10212663320650050/ देश में सत्य और अहिंसा की शुरूआत करने वाले महात्मा गांधी का जन्म 2 अक्टूबर 1869 को पश्चिमी भारत में वर्तमान गुजरात के तटीय शहर पोरबंदर नामक जगह में हुआ। 1883 में उनकी शादी कस्तूरबा से हो गई। कम उम्र में शादी हो होने के बावजूद भी मोहन दास करमचंद गांधी के मन में समाज सेवा की ललक कम नहीं हुई। बैरिस्ट्री की पढ़ाई करते हुए दक्षिण अफ्रीका में रहकर ही मोहनदास ने अन्याय, रंगभेद, शोषण जैसी कई कुप्रथाओं के खिलाफ सत्याग्रह किया। इसके बाद 1915 में भारत आते ही उन्होंने असहयोग …