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देश की आजादी के लिए जान देने वालो में फरीदाबाद के बल्लभगढ़ में 1823 में जन्मे राजा नाहर सिंह का नाम भी आता है। नाहर सिंह के शौर्य और वीरता से अंग्रेजी हुकूमत का हर हुकमरान थर्राता था।
ब्रिटिश सैनिकों का दिल्ली में दोबारा अधिकार के लिए दबाव बढ़ने से बहादुरशाह ज़फ़र ने राजा नाहर सिंह को दिल्ली की सुरक्षा के लिए न्योता भेजा। राजा नाहर सिंह दक्षिण दिल्ली पर लोहे की दीवार बनकर ऐसे डटे कि अंग्रेज़ी हुकूमत थर्रा उठी।
वहीं आगरा से आती हुई ब्रिटिश सैनिक टुकड़ियों को राजा नाहर सिंह ने मौत के घाट उतार दिया। लेकिन लाल किले की रक्षा करते हुए नाहर सिंह जैसे ही बल्लभगढ़ की ओर बढ़े, अंग्रेज़ों ने मौका देखकर बहादुरशाह ज़फ़र को बन्दी बना लिया। वहीं संधि के बहाने दिल्ली बुलाकर राजा नाहर सिंह को भी धोखे से बंदी बनाकर राजद्रोह के आरोप में 9 जनवरी 1858 को लाल किले पर ही सरेआम फ़ासी पर लटका दिया। राजा नाहर सिंह की सल्तनत को आज भी उनकी बहादुरी और शहादत पर नाज़ है।