
लोकसभा 2019 के चुनाव की सूची तो आ ही गई है साथ ही सभी राजनीतिक पार्टियों के चुनावी एजेंडे भी तैयार हो चुके हैं। जिसके आधार पर राजनीतिक दल चुनावी दाव चलकर जनता से वोट हासिल कर सकेंगे। जगह जगह रैलियां निकालकर पार्टी की तारीफें की जाएंगी और लोगों को रैलियों में शामिल किया जाएगा जिसमें ज्यादातर संख्या युवाओं की ही होती है। लेकिन यह एजेंडा सिर्फ चुनाव के समय तक ही सीमित रहता है। सत्ता में आने के बाद इस एजेंडे पर कोई क्रिया-प्रतिक्रिया तक नहीं होती और न ही लोग इस पर सवाल खड़ा करते हैं। क्योंकि देश के आधे से ज्यादा लोगों को अपने अधिकारों की पूरी जानकारी ही नहीं है। यह सिर्फ जनता को खुश करके उनसे वोट हासिल करने का तरीका होता है। युवा आबादी वाले देश में युवाओं को सिर्फ चुनावों में वोट मांगने और प्रचार-प्रसार में ही रखा जाता है। 2019 के लोकसभा चुनावों में 18 से 35 साल की उम्र के करीब 28 करोड़ वोटर होंगे। जिसमें 13 करोड़ से ज्यादा युवा तो पहली बार मतदान करेंगे। इसलिए यह संख्या काफी अहम है। जिसपर सभी पार्टियों की नजर है कि कैसे इन युवाओं के वोट बटोरे जाएं। लेकिन अब युवा पहले के मुकाबले काफी समझदार है वह सही निर्णय लेना जानता है। अपने हक के लिए बोल सकते हैं। वह सिर्फ चुनाव जिता ही नहीं सकते बल्कि खुद चुनाव जीत भी सकते हैं। इसलिए अब युवाओं को खुद अपने लिए आवाज बुलंद करने की जरूरत है। साथ ही युवाओं को राजनीति में आकर देश के लिए कुछ करने की जरूरत है। जिसके लिए Iyuva हमेशा कोशिश करता रहा है कि देश के ज्यादा से ज्यादा युवाओं को राजनीति से जोड़ सके। युवाओं को राजनीति में 32% आरक्षण दिला सके। जिसके लिए काफी सालों से कार्य भी कर रहा है। साथ ही युवाओं को भी राजनीति में अपना योगदान देने की जरूरत है ताकि देश का विकास और भविष्य सही दिशा में हो सके।