भारत में 65% आबादी वाले युवाओं को मिलें राजनीति में आरक्षण का अधिकार

भारत में 65% आबादी वाले युवाओं को मिलें राजनीति में आरक्षण का अधिकार

लोकसभा चुनाव 2019 के चुनावों की तारीख घोषित होने के साथ देश की राजनीतिक पार्टियां चुनावों के लिए अपनी पार्टियों के प्रचार-प्रसार में लग गई हैं। वहीं चुनावों में युवाओं की भूमिका भी सामने आ गई है।
चुनाव आयोग के आंकड़ों के अनुसार, 2019 के लोकसभा चुनाव में नौ फीसदी वोटर पहली बार शामिल होंगे। देश में 90 करोड़ लोग इस बार वोट डालेंगे। जिनमें 8.40 करोड़ नये मतदाता हैं। और करीब 1.5 करोड़ युवा मतदाताओं की आयु 18-19 साल के बीच है। वहीं 25 करोड़ वोटर 24 साल से कम उम्र के होंगे। यह मतदाता बेहद खास हैं, क्योंकि यह बेहतर तरीके से जानकारी को हासिल करते हैं, तकनीक का इस्तेमाल करते हैं और अपनी स्वतंत्र सोच रखते हैं. यही वह वर्ग है जो चुनावों में सबसे अधिक बढ़-चढ़ कर भागीदारी करता है। इस वर्ग पर सभी राजनीतिक दलों की नजरें हैं। यही कारण है कि इस आयु वर्ग को ध्यान पर रख ही प्रत्याशी प्रचार की रणनीति बनाई जाती है। पर अगर राजनीतिक पार्टियां युवाओं के लिए चुनावी रणनीति बनाने की बजाय युवाओं को राजनीति में हिस्सा लेने का मौका दें तो उन्हें रणनीति बनाने की जरूरत ही नही पड़ेगी। युवा अपनी और अपने वर्ग की परेशानियों व समस्याओं को जानते हैं तो अगर युवाओं को राजनीति में हिस्सेदारी का मौका दिया जाए तो वह भारत की 65 प्रतिशत आबादी जो युवा है उनके लिए कार्य कर सकेंगे जो भारत का आने वाला कल है। इसीलिए Iyuva यह मांग करता है कि देश की राजनीति में युवाओं को 32% आरक्षण मिलें जिससे भारत का भविष्य और बैहतर बन सके।

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