
दिवाकर दुबे
युवा वर्ग किसी भी काल या देश का आईना होता हैं।जिसमें हमें उस युग का भूत,वर्तमान और भविष्य साफ साफ दिखाई देता हैं।इनमें इतना जोश रहता हैं कि किसी भी चुनौती को स्वीकार करने के लिए तैयार रहते हैं।नवयुवक अतीत का गौरव और भविष्य का कर्णधार होता हैं और इसी में यौवन की सच्ची सार्थकता भी हैं।
भारत एक लोकतांत्रिक देश है।आज भारत में दूसरे देशों से ज्यादा युवा बसते हैं।युवा वर्ग वह वर्ग होता हैं जिसमें 14 से 40 वर्ष तक के लोग शामिल होते हैं।युवा वर्ग शारारिक और मानसिक रूप से ज्यादा ताकतवर होता हैं।जो देश और परिवार की उन्नति के लिए हर संभव प्रयास करता हैं।आज भारत देश में 75 प्रतिशत युवा पढ़ना लिखना जानता हैं।आज का भारतीय युवा अपने अधिकारों और देश के दायित्वों के प्रति जागृत हैं।
विश्व की सबसे विशाल लोकतंत्र की आधी से अधिक आबादी के रगों में जब जवान लहू की वेग दौड़ती हो,तब यह लाज़मी हैं कि उनका प्रतिनिधित्व भी उनमें से ही एक करे।राजनीति की परिभाषा लोग अपने अनुसार गढ़ते है।मगर वास्तविकता कुछ और कहती है।राजनीति राष्ट्रीय व्यवस्था और अंतरराष्ट्रीय संबंधों को सुचारू बनाने की प्रणाली हैं।इसके अपने मूल्य और नीतियां है,जो सर्वजन हिताय और सर्वजन सुखाय के उच्च आदर्शों से ओतप्रोत है।
आज की राजनीति में सुभाषचंद्र बोस ,शहीद भगत सिंह,चंद्रशेखर आज़ाद जैसे युवा नेता की आवश्यकता हैं।जो अपनी ऊर्जा से नए देश और भविष्य का निर्माण कर सके।जो अपने होश और जोश से युवा वर्ग के मन में नई क्रांति का संचार कर सके।अब तक वृद्ध नेताओं ने हमारे देश को संभाला लेकिन अब समय आ गया है जब युवा राजनीति में प्रवेश कर देश के प्रति उत्तरदायित्व का निर्वाह करे।हर क्षेत्र की भाँति राजनीति में भी युवाओं की सक्रिय भागीदारी की आवश्यकता हैं।जहाँ तक दुनियां के सबसे बड़े लोकतंत्र भारत का सवाल है तो यहाँ के युवाओं की राजनीतिक भागीदारी कम रही हैं।
भारत आज विश्व में सबसे अधिक आबादी वाला देश हैं।चीन में केवल 20.69 करोड़ और अमेरिका में 6.5 करोड़ युवा है।हमारे यहाँ 125 करोड़ से ज्यादा की जनसंख्या में 65 प्रतिशत युवा हैं।लेकिन देश के नेतृत्व की बागडोर 60 साल के ऊपर के नेताओ के हाथ में है।
मौजूदा संसद में 554 सांसदों में42 साल से कम उम्र के केवल 79 सांसद हैं।इनकी आवाज़ संसद में न के बराबर सुनाई पड़ती हैं।अब देश के युवा को आगे बढ़कर इस बागडोर को अपने हाथ संभालनी होगी।स्वामी विवेकानंद ने कहा था–युवा ही राष्ट्र की वास्तविक शक्ति हैं।
एक समय था जब राजनीति बुजुर्गों की जागीरदारी समझी जाती थी।पढ़ा लिखा युवा वर्ग इस दलदल में आने से कतराता था।लेकिन अब युवाओं की आंतरिक चेतना जागृत हो चुकी हैं।जिसके परिणामस्वरूप भारतीय राजनीति में सक्रिय भूमिका निभाने वाले युवकों की संख्या कुछ मुठ्ठी भर युवाओं तक ही सिमटी नही हैं,बल्कि उसका विस्तार तेजी से हो रहा हैं।आई आई टी,आई आई एम और देश के विभिन्न हिस्सों में अच्छे संस्थानों से शिक्षा प्राप्त कर रहे ऐसे कई युवा हैं जो राजनीति में प्रवेश के इछुक दिखाई दे रहे हैं।
भारत युवाओं की राजनीति में दिलचस्पी के जिस अध्याय पर खड़ा है,उसकी शुरुआत2007 से मानी जा सकती हैं।जब आई आई एम अहमदाबाद के चेपूरी कृष्णा ने किसी राजनीतिक पार्टी के साथ इंटरशिप करने का विकल्प चुना।
युवा राजनीति की तस्वीर बदल रही हैं।युवा बढ़ चढ़कर राजनीति में हिस्सा ले रहे हैं।जैसे हार्दिक पटेल,जिग्नेश मेवानी,चंद्रशेखर, कन्हैया आदि नाम युवा राजनीति का पर्याय बन चुका हैं।
मौजूदा दौर में धीरे धीरे ही सही मगर युवाओं की राजनीति में बढ़ती दिलचस्पी एक सुखद संदेश हैं।यह सिलसिला यू ही कायम रहा तो वो दिन दूर नहीं जब भारत में बड़े पैमाने पर परिवर्तन देखी जा सकती हैं।
लेखक संस्था के राष्ट्रिय सचिव सह मीडिया प्रभारी हैं